अमेरिकी क्रांति: पृष्ठभूमि, कारण, प्रमुख घटनाएं और परिणाम | American Revolution in Hindi
विश्व की प्रमुख क्रांतियों में से अमेरिकी क्रांति (American Revolution in Hindi) अपने आप में एक महत्वपूर्ण और अलग क्रांति है क्योंकि यह क्रांति या संघर्ष किसी सामंती व्यवस्था, विदेशी सत्ता या निर्धनता एवं आर्थिक शोषण के विरुद्ध संघर्ष नहीं था बल्कि मनुष्य के स्वतंत्रता के स्वाभाविक प्राकृतिक अधिकार हेतु लड़ा गया संघर्ष था ।
इतिहास विषय के इस लेख में हम Ameriki Kranti के हर पहलू के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे । हम जानेंगे कि आखिर ऐसे कौन से कारण रहे थे जिससे यूरोप से आकर अमेरिका बसे लोगों ने अपने ही देश के विरुद्ध विरोध किया और इसके साथ ही हम क्रांति के दौरान हुई प्रमुख घटनाओं तथा इसके पश्चात् के प्रभावों के बारे में भी जानेंगे।
- कोलंबस से पूर्व का अमेरिका - America Before Columbus
- यूरोपीय देशों के अमेरिका आने के कारण
- यूरोपीय लोगों का अमेरिकी मूलनिवासियों पर प्रभाव
- अमेरिकी क्रांति/स्वतंत्रता संघर्ष - American Revolution in Hindi
- अमेरिकी क्रांति के कारण
- अमेरिकी क्रांति/स्वतंत्रता संघर्ष की प्रमुख घटनाएं
- अमेरिकी स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान हुए महत्वपूर्ण युद्ध
- पेरिस की संधि (1783 ई.)
- अमेरिकी क्रांति का महत्त्व
कोलंबस से पूर्व का अमेरिका - America Before Columbus
अमेरिका महाद्वीप जो कि नई दुनिया के नाम से प्रसिद्ध है 1492 से पूर्व विश्व के लिए अज्ञात था। 1492 में एक यूरोपीय खोजी नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस ने अमेरिका महाद्वीप की खोज कि और इस खोज के साथ अमेरिका विश्व की नज़रों में आया। अमेरिका के मूलनिवासियों को यूरोपीय लोगों ने "रेड इंडियन्स" नाम दिया।
वहीं अमेरिका की सभ्यता की बात करें तो उत्तरी अमेरिका में माया एंव एजटेक सभ्यताओं तथा दक्षिण अमेरिका में इंका सभ्यता का विकास हुआ था।
कोलंबस द्वारा अमेरिका की खोज के बाद यूरोपीय देशों से आकर लोग यहां बसने, व्यापार करने के लिए आने लगे। अमेरिकी महाद्वीप का नाम एक इटालियन नाविक "अमेरिगो वेसपुची" के नाम पर रखा गया था।
यूरोपीय देशों के अमेरिका आने के कारण
यूरोपीय देशों के अमेरिका आने के कई कारण थे जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं -
- यूरोपवासी अमेरिका से सोना, चांदी जैसी मूल्यवान धातुएं प्राप्त करना चाहते थे। उस वक्त के यूरोप में इन मूल्यवान धातुएं का संग्रह गौरव का प्रतीक माना जाता था।
- उस वक्त गरम मसालों की यूरोप में अत्यधिक मांग थी और इस मांग की पूर्ति भारत व अन्य उष्णकटिबंधीय प्रदेशों से ही की जा सकती थीं क्योंकि गरम मसाला इन्हीं प्रदेशों में उत्पादित होता था।
- यूरोपवासियो का अमेरिका आने का एक अन्य कारण विस्तारवाद की भावना से प्रेरित होकर अन्य देशों पर कब्जा कर उन्हें उपनिवेश बनाना भी था।
- ईसाई धर्म का विश्व में प्रचार-प्रसार करना भी एक अन्य कारण था। इस कार्य के लिए यूरोपीय देशों के शासकों, व्यापारियों, कुलीन वर्गों और ईसाई मिशनरियों द्वारा नए मार्गों की खोज को प्रोत्साहन दिया गया।
- यूरोपीय देशों में चर्च का अत्यधिक प्रभाव था तथा चर्च लोगों का शोषण करता था। चर्च के इन अत्याचारों और मजहबी उत्पीड़न ने यूरोपीय लोगों को अमेरिका बसने के लिए प्रेरित किया।
- यूरोपीय देशों के मध्य निरंतर युद्ध होते रहते थे तथा इंग्लैंड व फ्रांस में यूरोप की राजनीति का केंद्र बनाने की होड़ में लगातार संघर्ष की स्थिति बनी रहती थी।
यूरोपीय लोगों का अमेरिकी मूलनिवासियों पर प्रभाव
यूरोपीय लोगों का अमेरिका आना वहां के मूलनिवासियों (रेड इंडियन्स) के लिए अत्यधिक हानिकारक सिद्ध हुआ। यूरोपीय लोगों ने वहां के मूल निवासियों की संस्कृति को पूरी तरह से समाप्त कर दिया। यूरोपीय आक्रमणकारी अपने साथ चेचक, प्लेग, इन्फ्लूएंजा जैसी खतरनाक बीमारियां लेकर आए और इन बीमारियों ने अमेरिका के मूलनिवासियों की जनसंख्या का ह्रास कर दिया क्योंकि अमेरिकी मूलनिवासियों में इन रोगों के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं थी। बाकी बची हुई जनसंख्या को यूरोपीय लोगो ने गोरी बस्तियों से दूर कर उन्हें एक छोटे से हिस्से में रहने के लिए मजबूर कर दिया।
अमेरिकी क्रांति/स्वतंत्रता संघर्ष - American Revolution in Hindi
अमेरिकी क्रांति के कारण - Major Causes of American Revolution in Hindi
1. मातृ देश इंग्लैंड के प्रति सहानुति की कमी
यूरोपीय देशों से आकर अमेरिका में बसने वाले लोग मजहबी अत्याचारों, आर्थिक शोषण, राजनीतिक अधिकारों से वंचित होने के कारण यहां बसने आये थे और उनमें इस कारण इंग्लैंड और चर्च के प्रति सहानुति की कमी थी।
2. गवर्नर व स्थानीय परिषद में लगातार तनाव
अमेरिकी उपनिवेश की शासन व्यवस्था गवर्नर और उसकी कार्यकारी परिषद द्वारा संचालित होती थी और ये दोनो ही इंग्लैंड के सम्राट के प्रति उत्तरदायी थे। स्थानीय लोगों की विधान परिषद इनके हस्तक्षेप को सही नही मानती थीं और इस कारण दोनों में लगातार तनाव की स्थिति बनी रहती थी।
3. उपनिवेशों का खुला वातावरण
अमेरिकी उपनिवेशों में खुले वातावरण के कारण नागरिकों में जनतंत्र व स्वतंत्रता जैसे विचारों के प्रति अधिक झुकाव था और यहां लोग जन सहमति से कानून निर्माण के पक्षधर थे । इंग्लैंड के सम्राट ने भी उनके विचारों पर शुरुआत में रोक लगाने की कोशिश नहीं की और अमेरिका में सुशासन की पनपती भावना को अप्रत्यक्ष रूप से मान्यता दे दी । धीरे-धीरे यह मान्यता मजबूत होती गई । इस कारण जब अंग्रेज सरकार ने उपनिवेशों पर कर लगाकर उनके व्यापार को नियंत्रित करने का प्रयास किया तो अमेरिका निवासी इसके विरोध में उठ खड़े हुए।
4. सप्तवर्षीय युद्धों का प्रभाव
सप्तवर्षीय (1757-1763) युद्ध इंग्लैंड व फ्रांस के मध्य लड़े गए थे। इन युद्धों में इंग्लैंड को विजय प्राप्त हुई और अमेरिका से फ्रांसीसी सत्ता का अंत हो गया और अमेरिका स्थित सभी फ्रांसीसी उपनिवेश इंग्लैंड के अधिकार क्षेत्र में आ गए। इस युद्ध ने औपनिवेशिक सैनिकों को उनकी शक्ति का एहसास कर दिया। अब यहां के निवासियों को अनुभव हो गया कि ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के साथ चिपके रहने में अब कोई फायदा नहीं है इस कारण इनमें धीरे-धीरे तनाव बढ़ता गया।
6. इंग्लैंड का शुरुआत में कम हस्तक्षेप
अमेरिकी उपनिवेश में पनप रहे स्वशासन पर इंग्लैंड ने रोक लगाने का कभी भी प्रयास नहीं किया था । इंग्लैंड इन उपनिवेशों से कच्चा माल प्राप्त करने की अतिरिक्त और कोई आशा भी नहीं रख रहा था शायद इसी कारण से उसने कभी भी अमेरिकी उपनिवेशों के प्रशासन या उनके जीवन में हस्तक्षेप नहीं किया । इंग्लैंड में भी राजतंत्र व संसद की मध्य अधिकारों को लेकर संघर्ष चल रहा था। इस कारण भी इंग्लैंड अपने उपनिवेशों के संबंध में ज्यादा कुछ विचार नहीं कर पाया और जब करना चाहा तो यह उपनिवेश इतने विकसित हो चुके थे कि इन्हें नियंत्रित कर पाना मुश्किल हो गया।
7. सम्राट जार्ज III की गलत आर्थिक नीतियां व अधिनियम
(i) शुगर एक्ट (1764)
इंग्लैंड ने अमेरिका में विदेशी शराब का आयात बंद कर शीरे (चीनी का एक उपउत्पाद) पर कर लगा दिया तथा सीमा शुल्क अधिकारियों को इसे कड़ाई से लागू करने का आदेश दिए । अमेरिकी व्यापारी शीरे या शक्कर आदि उत्पादों को फ्रांस और डच उपनिवेशों से सस्ता खरीदते थे तथा उन्हें उस पर आयात शुल्क भी नहीं देना पड़ता था । शीरे उत्पाद इंग्लैंड की कंपनी से खरीदने की बाध्यता के विरुद्ध अमेरिकी उपनिवेशों में आक्रोश उत्पन्न हुआ।
(ii) करेंसी अधिनियम (1764)
करेंसी अधिनियम के तहत उपनिवेश में बनी कोई भी हुंडी अब मान्य नहीं थी।
[हुंडी - आधुनिक युग में इस्तेमाल होने वाले चेक , बिल ऑफ़ एक्सचेंज आदि का ही एक मध्यकालीन रूप है। इसका इस्तेमाल व्यापारियों के आपसी समझौते और भरोसे द्वारा होता था।]
(iii) क्वाटरिंग अधिनियम (1765)
इस एक्ट के तहत शासकीय सैनिकों के निवास स्थान तथा खाद्य सामग्री का वहन उपनिवेशों के माध्यम से करना तय किया गया ।
(iv) स्टाम्प एक्ट (1765)
इस अधिनियम के तहत सभी पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों, लाइसेंस, पट्ठों आदि पर स्टांप लगाना अनिवार्य कर दिया गया था ।
(v) चाय कर (1767)
इंग्लैंड के वित्त मंत्री टाउन शेड ने कांच, रंग, चाय पर आयात कर लगा दिया । इससे होने वाली आय का उपयोग गवर्नर तथा उनकी कार्यकारिणी पर ही करना था ।
अमेरिकी क्रांति/स्वतंत्रता संघर्ष की प्रमुख घटनाएं
1. बोस्टन हत्याकांड
जून 1767 ई. में न्यूयॉर्क विधानसभा को इसलिए भंग कर दिया गया क्योंकि वह एक्ट के तहत अंग्रेज सैनिकों को रहने में खाने की व्यवस्था नहीं कर पाए थे। इस मुद्दे पर 5 मार्च 1770 ई. को अंग्रेज सैनिकों व नागरिकों में तनाव उत्पन्न हो गया। इस संघर्ष में तीन नागरिक मारे गए थे। इंग्लैंड को झुकना पड़ा और टाउनशिप करों को समाप्त कर दिया गया लेकिन चाय पर कर बनाए रखा गया।
2. बोस्टन टी पार्टी
लॉर्ड नॉर्थ ने इंग्लैंड का प्रधानमंत्री बनने के बाद उपनिवेशों को खुश करने का प्रयास किया और चाय को छोड़कर सभी वस्तुओं से कर हटा दिए। किन्तु चाय से कर न हटाने के कारण लोग नाराज थे। इन्हें परिस्थितियों के बीच ब्रिटेन का एक जहाज अमेरिका के बोस्टन बंदरगाह पर पहुँचा। सैम्युअल एडम्स और उसके साथियों ने जहाज पर चढ़कर सारी चाय को समुन्द्र में फेंक दिया। इस घटना की 'बोस्टन टी पार्टी' ने नाम से जाना जाता है। इस घटना से इंग्लैंड सरकार बहुत क्रुद्ध हुई। ब्रिटिश संसद ने अमेरिकी लोगों को सबक सीखाने के लिए 5 नियम पारित किये जो की निम्नलिखित थे -
- बोस्टन बंदरगाह को तब तक बंद रखा जायेगा जब तक की चाय का हर्जाना नहीं दे दिया जाता।
- ब्रिटिश सैनिकों के ठहरने व खाने-पीने की पूरी व्यवस्था स्थानीय अधिकारियों पर डाल दी गई।
- कैथोलिक मतावलम्बियों को उपासना संबंधी स्वतंत्रता दी गई।
- हत्या एवं अन्य अपराधों की सुनवाई सम्बन्धी अधिकार इंग्लैंड या अन्य उपनिवेशों में चलाने का निर्णय लिया गया।
- मेसाचुसेट्स के सांसदों को चुनने का अधिकार इंग्लैंड के राजा दे दिया गया।
3. प्रथम महाद्वीपीय कांग्रेस
बोस्टन टी पार्टी की घटना के बाद ब्रिटिश संसद द्वारा बनाये गए 5 कानूनों के विरोध में 5 सितंबर 1774 ई. को जार्जिया को छोड़ सभी उपनिवेशों ने सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन में शामिल सभी सदस्यों ने विचार कर एक प्रतिनिधि मंडल बनाया और उसे अपनी मांगों के साथ इंग्लैंड भेजा।
4. लेक्सिंगटन का युद्ध
19 अप्रैल 1775 को सैमुअल एडम्स को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके विरोध में स्वयंसेवकों की एक टुकड़ी ने ब्रिटिश सैनिकों पर हमला कर दिया। इस संघर्ष में आठ स्वयंसेवक मारे गए। इसका बदला लेने के लिए कनकार्ड नामक स्थान पर स्वयंसेवकों ने ब्रिटिश सैनिकों को मार दिया।
5. द्वितीय महाद्वीपीय कांग्रेस
10 में 1775 ई को जॉन हैनकॉक की अध्यक्षता में द्वितीय महाद्वीपीय कांग्रेस का अधिवेशन फिलाडेल्फिया में किया गया। इंग्लैंड ने विद्रोह को सैनिक शक्ति से दबाना चाहा। प्रारंभ में अंग्रेजी सेना का पलड़ा भारी रहा। अतः अमेरिकी नेताओं को विदेशी सहायता की आवश्यकता प्रतीत हुई। इसके लिए इंग्लैंड से संबंध तोड़ना आवश्यक था। अतः फिलाडेल्फिया में एकत्रित 13 ही उपनिवेश बस्तियों ने 15 जून को जॉर्ज वाशिंगटन को महाद्वीपीय सेना का सेनापति नियुक्त कर दिया।
6. स्वतंत्रता का घोषणा पत्र
महाद्वीपीय कांग्रेस में रिचर्ड हेनरी ने अमेरिका की स्वतंत्रता का प्रस्ताव रखा। जॉन एडम्स ने इसका अनुमोदन किया। 2 जुलाई 1776 ई. को कांग्रेस ने स्वतंत्रता के प्रस्ताव को स्वीकृत किया और 4 जुलाई को अमेरिका को स्वतंत्र घोषित कर दिया गया।
अमेरिकी स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान हुए महत्वपूर्ण युद्ध
1. ट्रेंटन युद्ध
2. सारागोटा युद्ध
3. यार्कटाउन युद्ध
पेरिस की संधि (1783 ई.) - Treaty of Paris in Hindi
3 दिसंबर 1783 ई. को पेरिस की संधि पर इंग्लैंड और अमेरिकी प्रतिनिधियों के मध्य हस्ताक्षर हुए। इस संधि से अमेरिका के 13 उपनिवेशों को स्वतंत्र मान लिया गया। अमेरिका में 4 जुलाई को स्वतंत्रता दिवस मानाया जाता है क्योंकि 4 जुलाई 1776 ई. को ही अमेरिकी राज्यों ने इंग्लैंड से अलग होने के घोषणा पत्र को स्वीकार किया था।
अमेरिकी क्रांति का महत्त्व - Significance of American Revolution in Hindi
A. लोकतांत्रिक राष्ट्र का उदय व लिखित संविधान
पेरिस की संधि से शक्तिशाली लोकतांत्रिक राष्ट्र का उदय हुआ। 13 उपनिवेशों ने स्वयं को एक स्वतंत्र संप्रभु देश में बदल दिया। इस देश में लिखित संविधान की आधार पर राज्यों को आंतरिक स्वतंत्रता के साथ-साथ संघीय शासन व्यवस्था लागू की गई। नागरिकता की भावना, मताधिकार तथा समानता का सिद्धांत देश में स्वीकार किया गया। यद्धपि नीग्रो, मूल निवासियों एवं महिलाओं के संबंध में यह सिद्धांत पूरी तरह से सत्य नहीं था।
B. मजहबी स्वतंत्रता
शिक्षा को उपासना पद्धति से तथा उपासना पद्धति को राज्य से अलग कर व्यक्तिगत विषय बना दिया गया। प्रत्येक व्यक्ति को मजहबी स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया।
C. वाणिज्यवाद का अंत
इस संघर्ष के बाद इंग्लैंड और अमेरिका के व्यापारिक संबंध इस प्रकार सुधरे की वाणिज्यवादी सिद्धांत का ही अंत हो गया। इस सिद्धांत में आयात कम व ज्यादा से ज्यादा निर्यात को महत्व दिया जाता था। मातृदेश व उपनिवेशों का संबंध कच्चा माल प्राप्त करने व तैयार माल बेचने तक ही सीमित था। मगर इंग्लैंड और अमेरिका के मध्य बढ़ते व्यापार ने इंग्लैंड को स्वयं इस नीति को त्यागने पर मजबूर कर दिया।
D. ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का उदय
अमेरिका की जीत ने अन्य औपनिवेशिक देशों को इंग्लैंड के विरुद्ध लड़ने हेतु खड़ा कर दिया। इंग्लैंड ने स्वयं उपनिवेशों के प्रति नीति बदलते हुए ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का निर्माण किया। इस संगठन के माध्यम से इंग्लैंड ने औपनिवेशिक देश की समस्या को जानने व समझने का मंच तैयार कर लिया, ताकि अमेरिकी संघर्ष जैसी घटनाओं की पुनरावर्ती नहीं की जा सके।
E. इंग्लैंड की संसद की शक्ति में वृद्धि
इस संघर्ष में चूंकि इंग्लैंड के शासक जॉर्ज तृतीय की अयोग्यता साबित हो गई थी। अतः संसद ने प्रधानमंत्री लॉर्ड नॉर्थ व राजा जॉर्ज तृतीय को उत्तरदायी ठहराया और परिणामस्वरूप राजा की शक्तियों को कम करते हुए संसद की शक्ति की पुनः स्थापित किया गया।
F. फ्रांसीसी क्रांति
इस संघर्ष ने फ्रांसीसी क्रांति को अवश्यंभावी बना दिया। अमेरिकी संघर्ष में फ्रांस को भाग लेना भारी पड़ गया। फ्रांस की आर्थिक स्थिति ख़राब हो गई और साथ ही उसे कोई लाभ भी नहीं मिला। इससे फ्रांस की जनता में असंतोष बढ़ने लगा जो की आगे चलकर फ्रांसीसी क्रांति के रूप में उभरा।
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