बक्सर का युद्ध (1764) क्या था? इसके कारण और परिणाम
भारतीय इतिहास के इस लेख में 'बक्सर के युद्ध' के बारे में जानकारी दी गई है। इस लेख में आपको बक्सर के युद्ध से सम्बंधित कई प्रश्नों जैसे की Baksar Ka Yuddh Kab Hua?, Baksar Ka Yuddh Ke Karan, Baksar Ka Yuddh Kiske Kiske Bich Hua Tha? आदि सवालों के जवाब मिल जायेंगे।
Table of Content
- बक्सर के युद्ध की पृष्ठभूमि
- बक्सर युद्ध के प्रमुख कारण क्या थे?
- Baksar Ka Yuddh (1764 ई.)
- बक्सर युद्ध के परिणाम
बक्सर के युद्ध की पृष्ठभूमि
1757 ईस्वी में प्लासी के युद्ध के बाद अंग्रेजों ने मीरजाफर को बंगाल का नया नवाब बना दिया। उसने 1757 ई. से 1760 ई. तक बंगाल में शासन किया। मीरजाफर एक अयोग्य और दुर्बल शासक था। उसकी अयोग्यता दूरदर्शिता तथा दुर्बलता के कारण राज्य में शांति और अराजकता फैल गई। जब मीरजाफर अंग्रेजों की धन संबंधी मांग पूरा न कर सका तो अंग्रेजों ने मीरजाफर के स्थान पर उसके दामाद मीरकासिम को बंगाल का नवाब बनाने का निश्चय कर लिया।
मीरजाफर को ₹15000 वार्षिक की पेंशन दे दी गई तथा 20 अक्टूबर, 1760 को मीरकासिम को बंगाल का नवाब बना दिया गया। बंगाल का नवाब बनने के शीघ्र पश्चात मीरकासिम और अंग्रेजों के मध्य मनमुटाव उत्पन्न हो गया और अंत में 1763 ईस्वी में दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया जिसे 'बक्सर का युद्ध' कहते है।
बक्सर युद्ध के प्रमुख कारण क्या थे?
1. मीरकासिम की महत्वाकांक्षा
मीरकासिम एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। उसने बंगाल का नवाब बनते ही स्वतंत्रतापूर्वक आचरण करना शुरू कर दिया। उसने उन जमीदारों से लगान वसूल किया जो बहुत समय से उसे दबाये बैठे थे।उसने भ्रष्ट अधिकारियों को दंड दिया और थोड़े समय में ही अंग्रेजी कंपनी का बहुत-सा ऋण चुका दिया। इस प्रकार अमीर कासिम ने अपनी प्रशासन ने कुशलता का परिचय दिया, परंतु अंग्रेज उसका स्वतंत्र आचरण सहन नहीं कर सके। अतः दोनों पक्षों में कटुता बढ़ गई।
2. सैनिक संगठन को दृढ़ करना
अंग्रेजों की कुटिल चालों और षड्यंत्र से बचने के लिए मीरकासिम ने मुर्शिदाबाद के स्थान पर मुंगेर को अपनी राजधानी बनाया। उसने मुंगेर की सुदृढ़ किलेबंदी की और 40 हजार सैनिकों की एक विशाल सेना का गठन किया। उसने मुंगेर में गोला-बारूद तैयार करने का एक नया कारखाना स्थापित किया। मीरकासिम की सैनिक तैयारी से अंग्रेज बड़े चिंतित हुए और मीरकासिम को संदेह की दृष्टि से देखने लगे।
3. प्लासी की पराजय का बदला लेना
1757 में अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला को प्लासी की लड़ाई में पराजित कर दिया था। मीरकासिम इस पराजय से बड़ा दुःखी था और इस पराजय के कलंक को धो डालना चाहता था।
4. हिंदू जमीदारों का दमन
बिहार का डिप्टी गवर्नर रामनारायण अंग्रेजों का प्रबल समर्थक था। मीरकासिम ने उसे गबन के आरोप में बंदी बना लिया और उसका वध करवा दिया। अंग्रेज मीरकासिम के इस कार्य से बड़े नाराज हुए और उन्होंने मीरकासिम की शक्ति पर अंकुश लगाने का निश्चय कर लिया।
5. व्यापारिक सुविधाओं का दुरुपयोग
1717 ईस्वी में मुगल सम्राट फर्रूखसियर ने ₹3000 वार्षिक कर के बदले में अंग्रेजी कंपनी को बंगाल में निःशल्क व्यापार करने का अधिकार दे दिया था। परंतु कंपनी के अधिकारी एवं कर्मचारी इस अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। वह भारतीय व्यापारियों को दस्तक बेचकर भारी लाभ कमाते थे। इस प्रकार अंग्रेजों के अनियमित एवं निःशुल्क व्यापार से मीरकासिम को काफी अधिक मात्रा में हानि हो रही थी।
6. मीरकासिम तथा अंग्रेजों के बीच संघर्ष
1763 ईस्वी में अंग्रेजों की एजेंट एलिन ने पटना पर अधिकार कर लिया परंतु मीरकासिम ने अपनी सेना भेजकर पटना पर पुनःअधिकार कर लिया। मीरकासिम को जुलाई, 1763 में बंगाल के नवाब के पद से हटा दिया गया और मीरजाफर को पुनः बंगाल का गवर्नर बना दिया गया। मेजर एडम्स ने अगस्त, 1763 में मीरकासिम को कटवाह, गिरिमा, मुर्शिदाबाद, मुंगेर आदि स्थानों पर पराजित किया। अंत में उदयबाला के युद्ध में मीरकासिम की बुरी तरह से पराजय हुई और उसकी 15 हज़ार सैनिक मार डाले गए। इस पराजय से अमीर कासिम के हृदय पर बहुत बड़ा आघात लगा और वह पटना की ओर चला गया। इसके पश्चात पटना से भागकर मीरकासिम अवध के नवाब शुजाउद्दौला के पास चला गया।
Baksar Ka Yuddh (1764 ई.)
1764 में मीरकासिम, शुजाउदौला और शाहआलम II कि सम्मिलित सेना ने अंग्रेजों से टक्कर लेने के लिए पटना की ओर प्रस्थान किया। दूसरी और मेजर मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना ने भी बक्सर की ओर प्रस्थान किया। 23 अक्टूबर, 1764 को दोनों पक्ष में बक्सर नामक स्थान पर घमासान युद्ध हुआ। दोनों ओर से अनेक सैनिक मारे गए। अंत में अंग्रेजों की विजय और सम्मिलित सेना की पराजय हुई मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय ने अंग्रेजों से समझौता कर लिया।
बक्सर युद्ध के परिणाम
- अवध के नवाब शुजाउद्दौला को उसका अवध प्रांत तो लौटा दिया गया परंतु उससे कड़ा और इलाहाबाद की जिले छीन लिए गए।
- शुजाउद्दौला ने युद्ध की क्षतिपूर्ति के लिए अंग्रेजों को 50 लाख रुपए देना स्वीकार कर लिया।
- अंग्रेजों ने अवध के नवाब को सैनिक सहायता देना स्वीकार कर लिया परंतु इन सेवाओं का खर्चा उसे ही देना था।
- अंग्रेजी कंपनी को अवध में कर मुक्त व्यापार करने की अनुमति दे दी गई।
- मुगल सम्राट शाह आलम को 26 लाख रुपया वार्षिक पेंशन नियत कर दी गई।
- शुजाउद्दौला से छीने गये कड़ा और इलाहाबाद के जिले शाहआलम को दे दिए गए।
- मुगल सम्राट ने अंग्रेजों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी सौंप दी अर्थात् इन तीनों प्रांतो के कर इकट्ठे करने का अधिकार अंग्रेजों को प्राप्त हो गया।
FAQs
1. Baksar Ka Yuddh Kab Hua Tha?
2. Baksar Ka Yuddh Ke Karan
- मीरकासिम की महत्वाकांक्षा
- व्यापारिक सुविधाओं का दुरुपयोग
- सैनिक संगठन को दृढ़ करना
- हिंदू जमीदारों का दमन
- मीरकासिम तथा अंग्रेजों के बीच संघर्ष
3. Baksar Ka Yuddh Kahan Hua Tha?
4. Baksar Ka Yuddh Kiske Kiske Bich Hua Tha?
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